मानव अधिकार आयोग चिंतित

रायपुर । राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली ने छत्तीसगढ़ राज्य में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दरमियान नक्सलियों द्वारा एक पुलिस अधीक्षक सहित 30 पुलिस कर्मियों के मारे गए जाने को चिंताजनक घटना निरूपति करते हुए कहा है कि हत्यारों के खिलाफ शीघ्र कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। ज्ञातव्य हो नक्सलियों ने अंबुश में फँसाकर २९ जांबाज पुलिस अधिकारी के साथ राजनांदगाँव के पुलिस अधीक्षक श्री चौबे को अपना शिकार बना लिया था ।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, दिल्ली के महासचिव श्री अखिल कुमार जैन ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव श्री पी। जे. ओमेन को भेज अपने पत्र में कहा है कि यह इनकार नहीं किया जा सकता है कि राज्य के लिए उपलब्ध कानून के तहत पुलिस के लंबे हाथ हैं और इस तरह अपने नागरिकों के मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का शासन लागू करने के कार्य में लगे हुए है और इस तरह से पुलिस कर्मी खुद अपने ही जीवन को उच्च जोखिम में रखकर राज्य के नागरिकों और संपत्ति की रक्षा कर रहे हैं ।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पुलिस कर्मियों तथा अर्द्धसैनिक बलों द्वारा राज्य की सुरक्षा बनाए रखने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है और नक्सली आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों तथा पीड़ितों के परिवारों के लिए पर्याप्त क्षतिपूर्ति के लिए तत्काल और उचित उपाय करने के लिए जरूरत की एक गंभीर याद दिलाता है ।

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर इस आयोग द्वारा पुलिस के कामकाज की स्थिति में सुधार किए जाने के उपायों, उनके काम के घंटे सहित - की सिफारिश की गई है - जो विश्वास पैदा करते हैं कि वे नागरिकों के जीवन और उनके मानव अधिकारों की रक्षा में लगे हुए हैं । ऐसे पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों के उनके अधिकारों को भी राज्य द्वारा विधिवत संबोधित किया जाए ।

आयोग ने उम्मीद जताया है कि नक्सलियों द्वारा मार डाले गये पुलिस कर्मियों के परिवार सभी देशवासियों की सहानुभूति के लायक है और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा और गंभीर रूप से घायलों को पर्याप्त वित्तीय सहायता दी जाएगी ।